हेलो दोस्तों Catchit.in में आपका स्वागत है इस पोस्ट में हम आपको बताएँगे कि दिवालिया कानून क्या है? दिवालिया का नाम तो आप लोगो ने कही न कही ज़रूर सुना होगा लेकिन दिवालिया के बारे में जानना भी बहुत जरूरी है क्योकि इंडिया में दिवालिया कानून का बहुत लोग फायदे उठा रहे।
इंडिया में बहुत व्यक्ति दिवालिया घोषित किये जा चुके है तो आखिर में Diwaliya Kanoon kya hota hai. diwaliya in hindi. diwaliya kaise bante. इसके बारे में पूर्ण जानकारी आपको देंगे तो आइये जानते आसान भाषा में कि diwaliya kya hai.
दिवालिया कानून क्या है What is diwaliya kanoon in hindi?
दिवालिया वो व्यक्ति हो जाता है जिसके ऊपर ऋण का भार अत्यधिक भड़ जाता है जिसके अनुकूल उसको चुकाने में काफी दिक्कत होती है जब भुक्तान करना असंभव हो जाता है तब ऐसी दशा में लेनदार द्वारा उसे सताया जाता है सारे लेनदार उसे सताने लग जाते है तथा ऐसी दशा में उसको घर से बाहर निकलना भी दुर्बल हो जाता है तथा लेनदार द्वारा तरह तरह की देनदार को दिक्कते दी जाती है इसका निपटारा पाने के लिए उसको अपनी निजी सम्पतियो को भी बेचकर भरपाई करना पड़ता है।
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ऐसी स्तिथि में सरकार द्वारा दिवालिया अधिनियम Insolvency act in hindi में शरण ले लेता है तो उसकी सारी सम्पत्तियो को बेचकर इससे छुटकारा दिलाया जाता है तथा अगर उसकी संपत्ति बेचकर भी लेनदारों का पूरा भुक्तान नहीं होता है तो लेनदार के द्वारा अब देनदार को सताया नहीं जायेगा अगर तब भी कोई सताता है तो सरकार द्वारा उसे दण्डनीय अपराध दिया जाता है।
दिवालिया कैसे बनते है diwaliya kaise bante hai
निचे लिखी हुई दोनों शर्तो को पूरा करने वाले व्यक्ति को दिवालिया कहते है।
1. उसकी सारी सम्पत्ति दयतित्व से अधिक हो जाती है।
2. न्यायालय द्वारा उसे दिवालिया घोसित कर दिया गया हो।
3. उपर्युक्त को पूरा करने वाले व्यक्ति को दिवालिया व्यक्ति कहा जाता है।
4. माल विक्रय अधिनियम 1930 जो व्यक्ति ऋण का भुक्तान करना बंद कर देता है।
5. वो चाहे उपर्युक्त दोनों शर्तो को पूरा करे या ना करे तो भी वो दिवालिया कहलाता है।
दिवालिया कानून के लाभ-diwaliya kanoon ke labh
1. ऋणी के स्वामिकत्वा की रक्षा-इस अधिनियम के लग जाने से लेनदार देनदार को अधिक परेशान नहीं करता है तथा दिवालिया अधिनियम से स्वामित्व की रक्षा होती है।
2. लेनदारों के हितो की रक्षा-इस अधिनियम के लग जाने से लेनदार का भुक्तान आसानी से हो जाता है लेनदार को भी अपने हित की राशि आसानी से मिल जाती है ऐसा करने से उसकी संपत्ति बर्बाद नहीं होती बल्कि संपत्ति को बेचकर लेनदारों से छुटकारा मिल जाता है।
3. व्यपारिक प्रगति में सहायता-कुछ व्यापारी व्यापर प्रारम्भ करने से पहले ऐसी सोच रखते है कि अगर व्यापर नहीं चला तो ऋण का भुक्तान कैसे करेंगे ऐसी सोच रखने वाले व्यक्ति पहले से अपना दिवालिया अधिनियम में अपना नाम दर्ज करा लेते है।
दिवालिया कानून की हनिया diwaliya kanoon ke nuksan
1. व्यापारी में बेईमानी की भावना-इससे बेईमानी की भावना उत्पन्न हो जाती है कुछ व्यापारी ऐसे होते है जो इसका लाभ उठाने के लिए दूसरे की रकम हड़पने की कोशिश करते है वे किसी दूसरे व्यक्ति से ऋण लेके अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करते है परन्तु अपने लेख में ये दिखाने की कोशिश करते है कि उनकी आर्थिक स्थिति नाजुक है कि वे अपने द्वारा लिए गए ऋण का भुक्तान नहीं कर सकते है वे दिवालिया न होकर अपने आप को दिवलिया दिखाते है तथा जो भी ऋण लिए होते है उसको वे किसी दूसरे व्यक्ति के नाम से लेते है अपनी संपत्ति दिखाने के लिए ऐसा करते है।
2. लेनदार को नुक्सान पहुंचना-इस कानून के अंतर्गत लेनदारों के पैसे बहुत बरबाद हो जाते है इस कानून के अंतर्गत बहुत से लेनदार ऐसे होते है जिनका पैसा वापस नहीं मिल पाता तथा लेनदारों को काफी नुक्सान हो जाता है तथा देनदार अगर इस कानुन का शरण लेता है तो लेनदार द्वारा उसे हानि भी नहीं पंहुचा सकते है इस प्रकार लेनदारों को काफ़ी नुक्सान हो जाता है।
3. अयोग्य व्यक्ति द्वारा व्यापार करना-इस कानून के आ जाने से बहुत ही अयोग्य व्यक्ति व्यापार प्रारम्भ कर लेते तथा वे जानते है कि अगर व्यवसाय में लाभ होता है तो बहुत अच्छा यदि हानि हुई तो उनकी मदद करने के लिए दिवालिया कानून का सहारा मिल सकता है ऐसा विचार रखने वाले व्यक्ति को व्यापार में लाभ नहीं हो पाता है अतः उसको बहुत ही बड़ा झटका लगता है जिसके कारण वो दिवालिया हो जाता है।
निष्कर्ष-ऊपर दी गयी हानियों को अगर ध्यान से पड़ा जाए तो देखा जा सकता है कि ये हनिया नहीं बल्कि लोगो की गलत भावना है इस कानून के अंतर्गत किसी भी बेईमान व्यक्ति की मदद नहीं की जाती है बेईमानी करके अपने आप को धनवान या अमीर दिखाना मूर्खता है इस कानून का उद्देश्य यह है कि व्यापार प्रगति को आगे बढ़ाना है तथा व्यापार को आगे बढ़ने के लिए उनको निडरता से सामना करना है।
दिवालिया घोसित किये जाने की विधि
1 . लेनदार द्वारा आवेदन पत्र दिया जाना-ऋणी व लेनदार द्वारा कोई भी व्यक्ति न्यायालय की सहायता से ऋणी को दिवालिया घोसित करा सकता है अगर ऋणी के द्वारा ऐसा कोई भी कार्य किया जाता है जिससे लेनदार को लगे की वो दिवालिया हो चूका है ऐसा कोई भी अनुभूति पे लेनदार ऋणी को दिवालिया घोसित कर सकता है।
लेनदार द्वारा आवेदन पत्र
1. जब लेनदार को 500 से अधिक राशि लेनी हो।
2. यह ऋणी को तुरंत या तो कुछ निश्चित अवधी के बाद देय हो।
3. ऋणी द्वारा कोई भी ऐसा कार्य जिससे उसको दिवालिया बना दिया जाये ऐसा कार्य आवेदन देने के 3 महीना पहले किया जाता है।
ऋणी द्वारा आवेदन पत्र
1. जब उसे 500 रुपये से अधिक देय हो।
2. वो भुक्तान करने के कारण जेल में हो।
3. उसका ऋण सम्पत्ति से अधिक हो।
न्यायालय का दिवालिया होने का आदेश
दिवालिया पत्र घोसित करने की न्यायालय द्वारा एक तिथि घोसित की जाती है एक सरकारी व्यक्ति नियुक्त किया जाता है जो उसकी संपत्ति को बेचकर लेनदारों का भुक्तान करवाता है जिसमे उसका भी प्रतिशत होता है सट्टे जुए या किसी भी अन्य प्रकार से अवैध तरीके से आय Income इसमें शामिल नहीं की जाती है।
दिवालिया की मुक्ति होना.
दिवालिया आवेदन प्राप्त होने के बाद प्रत्येक दिवालिया का यह कर्त्तव्य होता है कि वह संपत्ति प्राप्त करने में तथा लेनदार भुक्तान करने में सहायता करे यदि वह सहायता करने में ढिलाई करता है तो उसे संगरक्षण नहीं दिया जाता है
निष्कर्ष Conclusion
मै उम्मीद करता हूँ कि आपको दिवालिया कानून क्या है-दिवालिया कैसे होते है? इस पोस्ट से काफी हेल्प मिला होगा और आपको दिवालिया कानून से सम्बंधित सारे प्रॉब्लम दूर हो गये होंगे जो अगर आपको इससे सम्बंधित कोई सवाल है तो आप कमेंट करके पूछ सकते है मै उसका जवाब आपको ज़रूर दूंगा तथा आप ऐसे पोस्ट पढ़ेंने में इंटरेस्ट रखते है तो आप हमारे फेसबुक और इंटस्टाग्राम के पेज को फॉलो करे और हर रोज नई नई जानकारी पाये हिंदी में. (धन्यवाद्)
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